ये दीवानगी (Ye Diwanagi) : Hindi Love Poem
कभी दायें चले कभी बाएं चले
उनकी गली में चले कई बार चले,
कभी तन्हा चले कभी संग यार चले
उनके दिदार को हम बेकरार चले।
ना काम था कोई ना धाम था कोई
कटी पतंग जैसे आवारापन में चले,
बारिश की चिंता ना धूप की फिकर
दीवानगी में चले नंगे पाँव चले।
दिन का अता था ना रात का पता
जब भी याद आये वो बेहिसाब चले,
कभी देखूँ इधर से कभी देखूँ उधर से
कोई बता दे जगह चांद दिखेगा जिधर से,
वो बेखबर थे शायद, या थी बेअसर मोहब्बत
उनकी इक झलक की खातिर सौ बार चले।
सौ बार चले बार बार चले
उनके दिदार को हम बेकरार चले,
दीवानगी में चले नंगे पाँव चले
इक झलक की खातिर सौ बार चले।
- Ashish Kr. Rawat
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