ये दीवानगी (Ye Diwanagi) : Hindi Love Poem | Ashish Raj Kiran - Web Author & Shayar
बारिश, बादल, चांद, हवाएं और ये शमा प्यारा, मुझे बेकार लगता है तुम्हारे बिन जहां सारा : Ashish Raj Kiran

ये दीवानगी (Ye Diwanagi) : Hindi Love Poem

 ये दीवानगी (Ye Diwanagi) : Hindi Love Poem

कभी दायें चले कभी बाएं चले

उनकी गली में चले कई बार चले,

कभी तन्हा चले कभी संग यार चले

उनके दिदार को हम बेकरार चले।


 ना काम था कोई ना धाम था कोई

कटी पतंग जैसे आवारापन में चले,

बारिश की चिंता ना धूप की फिकर

दीवानगी में चले नंगे पाँव चले।


दिन का अता था ना रात का पता

जब भी याद आये वो बेहिसाब चले,

कभी देखूँ इधर से कभी देखूँ उधर से

कोई बता दे जगह चांद दिखेगा जिधर से,

वो बेखबर थे शायद, या थी बेअसर मोहब्बत

उनकी इक झलक की खातिर सौ बार चले।


सौ बार चले बार बार चले

उनके दिदार को हम बेकरार चले,

दीवानगी में चले नंगे पाँव चले

इक झलक की खातिर सौ बार चले।

- Ashish Kr. Rawat

0 Comments

कृपया प्रतिक्रिया दें (Feedback Please)