एकमेव सत्यम् अस्ति (There is only one truth) | Ashish Raj Kiran - Web Author & Shayar
बारिश, बादल, चांद, हवाएं और ये शमा प्यारा, मुझे बेकार लगता है तुम्हारे बिन जहां सारा : Ashish Raj Kiran

एकमेव सत्यम् अस्ति (There is only one truth)

 एकमेव सत्यम् अस्ति

Ashish Raj Kiran

Ekmev Satyam Asti (There is only one truth)

हमें बचपन से सिखाया जा रहा है कि सदैव सत्य बोलो। विद्यालय में, घर में, हर जगह सब यही सिखाते हैं कि सदैव सत्य बोलो। परंतु इसके पीछे भी झूठ है, झूठ नहीं बहुत बड़ा झूठा है। जो कहते हैं सत्य बोलो दरअसल वह खुद झूठे हैं, न जाने वह अब तक कितने झूठ बोल रखे हो। कोई हिसाब ही नहीं, मैं अनगिनत कहूं तो शायद गलत ना होगा।


यह दुनिया सत्य के नाम पर सिर्फ आपको गुमराह करेगी। गुमराह इसलिए करेंगे क्योंकि वह खुद गुमराह है। उन्हें स्वयं सत्य का बोध नहीं है और आपको शिक्षा दे रहे हैं सत्य की।


कभी सोचा है, सत्य बोलने के लिए आपको किस लिए कहा जा रहा है? क्योंकि दुनिया झूठी है, लोग झूठे हैं, इसलिए सत्य की शिक्षा दी जा रही है। यदि सब सत्य होता तो सत्य की शिक्षा देने की आवश्यकता ही नहीं। जब सब सत्य है तो सत्य है, इसमें झूठ से क्या लेना देना। झूठ है इसीलिए सत्य की बात कही जा रही है। “सत्य होता तो कोई यह न कहता कि सत्य बोलो। क्योंकि सत्य तो पहले से है, सब सत्य को जानते हैं और सत्य बोल रहे हैं। इस स्थिति में कोई कैसे रहेगा कि सत्य बोलो। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि प्रकाश और अंधेरा। जब प्रकाश पहले से ही विद्यमान है तो भला कौन कहेगा कि दीपक जलाओ या प्रकाश करो। प्रकाश करने की बात सिर्फ अंधेरे की उपस्थिति में ही कहीं जा सकती है।”


खैर यहां तक तो सब ठीक है। अब समस्या यह है कि सत्य है क्या? आगे बढ़ने से पहले यहां पर थोड़ा रुकिए और सोचिए, विचार करिए सत्य क्या है?

आपके मन में तरह-तरह के विचार आ रहे होंगे। आप जिस माध्यम से यह सब पढ़ रहे होंगे या सुन रहे होंगे उसे सत्य समझ रहे होंगे या धरती, सूरज, यह लोग, पशु-पक्षी, जानवर, पेड़-पौधे व अन्य समस्त भौतिक वस्तुएं एवं जीव आपकी नजरों में क्या यह सत्य है? भौतिक वस्तुओं और जीवों के अतिरिक्त आपके रिश्ते, आपके संबंध, आपके मन की तीव्रता या शिथिलता, आपके एहसास या कोई घटना क्या इन्हें आप सत्य से परिभाषित करेंगे? यह सब झूठ है सौ प्रतिशत झूठ है, मैं झूठ ही कहूंगा। 


जो भी नष्ट हो सकता है या खत्म हो सकता है या यह कहें कि मर सकता है, वह सब झूठ है। आप जिसे देख रहे हैं स्पर्श कर रहे हैं, महसूस कर रहे हैं वह नश्वर है, नष्ट होने वाला है या मरने वाला है। समस्त जीव, वस्तुएं या घटनाएं वास्तविक हो सकते हैं परंतु सत्य नहीं। क्योंकि वास्तविक चीजों या जीवों में नष्ट होने का गुण विद्यमान है। मरने का गुण बुद्धिमान है। आज नहीं तो कल उनको नष्ट होना है, समाप्त होना है या यह कहें कि मरना है। और जो नष्ट हो जाए, मर जाए वह सत्य कैसे हो सकता है।


“सत्य तो सत्य है। आपने सुना या पढ़ा भी होगा शायद की सत्य कभी मर नहीं सकता, नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि वह सत्य है और सत्य की यही तो खासियत है।”


अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या हो गया, यहां तो पांसा उल्टा पड़ गया। बचपन से हम सत्य का ढिंढोरा पीटे जा रहे थे। तुरंत यहां तो कुछ और ही चल रहा है। हम तो यही सब सच समझ रहे थे। हमें तो यही सब बताया गया है, तो क्या हम जन्म लिए, धीरे-धीरे फिर बड़े हुए, शिक्षा प्राप्त की, नौकरी करने लगे और फिर बूढ़े भी होंगे, तो क्या यह सब सत्य नहीं था। इस तरह के न जाने कितने अनगिनत विचार आपके मन में आ रहे होंगे। 


लिए थोड़ा और गहराई तक चलते हैं एक छोटी सी यात्रा शुरू करते हैं आपके बचपन से। याद कीजिए अपना बचपन आप छोटे से हैं, अपने माता-पिता की गोद में है। आपको प्यार किया जा रहा है, दुलार किया जा रहा है। मोहल्ले में अन्य बच्चों के साथ खेल रहे हैं थोड़ा और बड़े हुए विद्यालय जा रहे हैं, विद्यालय में दोस्तों के साथ बिताए पल, आपके अध्यापक, जितना याद कर सकते हैं कर लीजिए। अपने प्रेमी या प्रेमिका और पुराने कार्यस्थल पर बताएं पल, अच्छी या दुखद घटनाएं, जो भी याद आ रहा है याद कर लीजिए। ऐसा महसूस कर रहे होंगे कि जैसा यह सब अभी कल की बात है या फिर कुछ दिनों पहले की घटनाएं हैं। यह सारी घटनाएं जो आपके साथ भूतकाल में घटी, वह सारी घटनाएं सिर्फ वास्तविक थी सत्य नहीं।


यह ठीक वैसा ही अनुभव है जैसे की आपके सपने। आप तुलना कीजिए अपने सपनों और भूतकाल में घटित घटनाओं की। आपका बीता हुआ कल भी सपनों के जैसा ही अनुभव कर रहा होगा। आप महसूस कर रहे होंगे अपने कल को एक सपने की तरह और लोग अक्सर कहते भी हैं कि “वह भी क्या दिन थे सब सपने हो गए।” क्योंकि बीता हुआ कल एक सपने की तरह ही होता है। कोई विशेष अंतर नहीं है दोनों में। अंतर सिर्फ इतना है कि हमने अपना बीता हुआ कल खुली आंखों से देखा है और सपना बंद आंखों से। 


बीते हुए कल में कई सुखद घटनाएं भी घटी होगी और कहीं दुखद घटनाएं भी घटी होंगी। उस समय उन घटनाओं का आप पर विशेष प्रभाव भी था। सुखद पल में खुशी से झूम रहे होंगे, आनंदित भी रहे होंगे और दुखद घटनाओं में या दुख के समय आप रोए भी थे। उसे समय आप अपने दुख के समय में बहुत परेशान थे दुखी थे ना जाने कितने प्रयत्न किए होंगे कि यह दुख दूर हो जाए शायद कुछ ऐसी दुखद घटनाएं भी घटी होंगी जिसमें आप खूब रोए होंगे, हो सकता है कुछ समय के लिए आपने भोजन भी त्याग दिया हो। वर्तमान में उन घटनाओं का वैसा प्रभाव नहीं है या फिर घटना अत्यधिक पुरानी हो गई तो अब उसे घटना का आप पर प्रभाव शून्य हो गया होगा। वह चाहे आपका सुखद पल रहा हो या दुखद पल रहा हो सब एक सपना की तरह ही लग रहा होगा। सपनों की तरह ही कुछ कुछ धुंधला सा। “यहां पर यह सिद्ध होता है कि वह सब वास्तविक था परंतु सत्य नहीं। सत्य होता तो आज भी वैसा ही होता।”


अब बात करते हैं वर्तमान की। आपके आसपास जो चल रहा है, जो देख रहे हैं, जो सुन रहे हैं, क्या वह सत्य है। मुझे ऐसा लगता है कि मेरे कहने से पहले ही आप अपने मन में यह विचार ला चुके होंगे कि सब झूठ है, सब दिखावटी है। लोग झूठे हैं, धोखा देते हैं, दिखावा करते हैं, सत्य नहीं है। 


कभी अपने आपको भीड़ से अलग करके देखिए। अपने आसपास आपको ड्रामा के अतिरिक्त कुछ नजर ही नहीं आएगा। आप देखेंगे की अजीब खेल चल रहा है। लोग इधर-उधर भाग रहे हैं, एक दूसरे से झूठ बोल रहे हैं थोड़े से लाभ के लिए, दिखावा कर रहे हैं और भी न जाने क्या-क्या… बहुत कुछ। सब खेल, खेल रहे हैं एक दूसरे से। “वर्तमान में सत्य कहां है।”


आइए चलते हैं अब अंतिम पड़ाव की ओर, भविष्य की ओर, सत्य की ओर। 

What is truth ? (Satya Kya Hai)

सत्य हमेशा भविष्य में ही घटने वाला है। अब तक जो भी किया वह वास्तविक था, जो कर रहे हैं वह वास्तविक है। अब तक आपने जो भी किया, जो बनाया, जो धन इकट्ठा किया, उसमें से कुछ नष्ट हो गया होगा या नष्ट हो रहा होगा और एक दिन नष्ट हो जाएगा। जो आज कर रहे हैं वह भविष्य में एक दिन नष्ट हो जाएगा, समाप्त हो जाएगा या यूं कहें कि मर जाएगा। “जो खत्म हो चुका है या समाप्त हो चुका है वह उस समय के अनुसार अपने भविष्य में ही खत्म या समाप्त हुआ था/है। अब जो कर रहे हैं वह भी अपने भविष्य में समाप्त होगा। और यह खत्म होने की क्रिया, समाप्त होने की क्रिया, इसे ही मृत्यु कहते हैं।” अंतर सिर्फ इतना है निर्जीव वस्तुएं नष्ट होती हैं और सजीव अर्थात जीवधारी को मृत्यु प्राप्त होती है। खत्म दोनों को होना है। इंसान भी अपने भविष्य में ही मृत्यु को प्राप्त होगा और समाप्त होना, खत्म होना अर्थात मृत्यु को प्राप्त होना, यही सत्य है। इसके अतिरिक्त इस संपूर्ण ब्रह्मांड में सत्य कुछ भी नहीं। सत्य हमेशा सत्य होता है वह कभी नहीं मरता है ना ही समाप्त होता है। सत्य हमेशा विद्यमान रहता है। मृत्यु के अतिरिक्त कुछ भी समस्त ब्रह्माण्ड में सत्य नहीं। इंसान ने जो किया, जो कर रहा है, और जो करेगा, वह सिर्फ एक खेल है, जो खेल रहा है और खेल तो एक दिन खत्म ही होगा। फिर चाहे आप अच्छे खिलाड़ी हो या खराब या फिर अवार्ड ही क्यों न जीत चुके हो, खेल ख़त्म होने के बाद मैदान तो छोड़ना ही है। क्योंकि आज जहां आप खेल रहे हैं इसी मैदान पर कल दूसरे खिलाड़ियों को भी खेलना है। यह बात समझने वाली है और जिस क्षण आपको यह बात समझ में आ गयी, उसी पल से ही जीवन का आनंद लेना शुरू कर देंगे, जीवन जीना शुरू कर देंगे। जब मृत्यु ही परम सत्य है तो फ़िक्र किस बात की, मस्ती के साथ जीने में क्या दिक्कत है ? मृत्यु तो वैसे भी सब कुछ आपसे छीन लेगी, धन-दौलत, रुतबा, आपका नाम और आपका शरीर भी।


- Ashish Raj Kiran


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