Happy New Year
31 दिसंबर 2025 की शाम है।
हर तरफ हलचल है—लोग नए वर्ष 2026 के स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं।
दोस्तों, रिश्तेदारों, पार्टियों और कार्यक्रमों का शोर चारों ओर है।
फोन उठाता हूँ तो शाम से आए मैसेज दिखते हैं—
“नव वर्ष की शुभकामनाएँ”
हर साल की तरह… इस साल भी…
जैसे पिछले साल आई थीं, वैसे ही।
लोगों का नजरिया अलग-अलग है।
कोई पूरे जोश और उल्लास के साथ जश्न मना रहा है,
तो कोई बस एक रस्म निभा रहा है।
और सच कहूँ—जश्न मनाना गलत भी नहीं है।
कम से कम किसी बहाने लोग एक दिन तो खुश हो लेते हैं।
लेकिन एक सवाल बार-बार मन में आता है—
क्या खुश होने के लिए सिर्फ एक दिन काफी है?
क्या नया साल सिर्फ सेलिब्रेशन के लिए आता है?
हर साल यही होता है—
नए लक्ष्य, नए संकल्प, नए प्लान।
कुछ पूरे होते हैं, कुछ अधूरे रह जाते हैं।
और फिर वही ज़िंदगी… वही रूटीन…
सालों से चली आ रही यह परंपरा,
जिसमें कुछ भी सच में नया नहीं होता।
असल सच्चाई यह है कि
जो समय बीत गया, वह दोबारा नहीं आएगा।
नए साल आते रहेंगे,
और पुराने साल इतिहास बनते रहेंगे।
आज 2025 जा रहा है,
कल 2026 भी इसी तरह विदा होगा।
फिर 31 दिसंबर आएगी,
फिर वही जश्न, वही शोर, वही वादे।
लेकिन सोचिए—
क्या हर दिन एक नया साल नहीं है?
आज का दिन फिर कभी नहीं आएगा।
आज की शाम, आज की सोच, आज की हालत—
अगले साल इसी समय वैसी नहीं होगी।
हम बदल चुके होंगे,
परिस्थितियाँ बदल चुकी होंगी,
लोग बदल चुके होंगे।
कल्पना कीजिए—
आप खड़े हैं, सामने सूरज डूब रहा है।
लालिमा में लिपटा आकाश,
पंछी अपने घोंसलों की ओर लौट रहे हैं।
बादल बिछे हुए हैं,
रात आने को है।
कल फिर सूरज डूबेगा—
लेकिन वह आज वाला सूरज नहीं होगा।
कल वही पंछी नहीं होंगे,
वही बादल नहीं होंगे,
वही तारीख नहीं होगी।
हर पल अनोखा है।
हर लम्हा अमूल्य है।
काश हम यह समझ सकें कि
खुशी किसी तारीख की मोहताज नहीं होती।
हर दिन जश्न का हकदार है।
हर दिन प्यार से जीने के लिए है।
हर दिन मुस्कराने, गले मिलने,
और अच्छे शब्द कहने के लिए है।
अगर हम हर दिन को
नए वर्ष की तरह जीना सीख लें—
तो शायद हमें
31 दिसंबर का इंतज़ार ही न करना पड़े।
क्योंकि
हर दिन नया है।
हर दिन एक उत्सव है।
हर दिन जीवन का उपहार है।

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