जीवन सार (Jivan Saar) : Returns of The Gita
हे मनुष्य तू क्यों रोता हैव्यर्थ हाथ पर हाथ धरे
अभी तो जीवन बहुत बड़ा है
जीते जीतू काहे मरे
रोता क्यों है देख इधर
दुख हो जाएंगे छूमंतर
क्या खोया है क्या पाया है
यह सब ईश्वर की माया है.
कल तक जो तेरा अपना था
आज वही पराया है,
कल तक जो थे दोस्त सखा
आज हुए वह तुझसे खफा
जहां से हुई थी राह शुरू
आज वहीं पर आया है।
आज वही पराया है,
कल तक जो थे दोस्त सखा
आज हुए वह तुझसे खफा
जहां से हुई थी राह शुरू
आज वहीं पर आया है।
थोड़ा पीछे सोच जरा
जब तू छोटा बच्चा था
ना चिंता ना मोह माया
और ना ही कोई लालच था
तू था तेरे सखा भी थे
सब बड़ा ही अच्छा था।
जब तू छोटा बच्चा था
ना चिंता ना मोह माया
और ना ही कोई लालच था
तू था तेरे सखा भी थे
सब बड़ा ही अच्छा था।
ममता की मां की आंखों में
दादी के यहां आंखों में प्यार
पापा घोड़ा बनते थे
दादा के बाहों में दुलार।
दादी के यहां आंखों में प्यार
पापा घोड़ा बनते थे
दादा के बाहों में दुलार।
दादा तो स्वर्ग सिधार गए
दादी की लीला अपरंपार,
दादाजी की याद में
वह भी स्वर्ग गई सिधार।
दादी की लीला अपरंपार,
दादाजी की याद में
वह भी स्वर्ग गई सिधार।
ब्याह हुआ पत्नी आई
दो से आंखें चार हुई,
केवल पत्नी को छोड़ कर
सारी दुनिया बेकार हुई।
दो से आंखें चार हुई,
केवल पत्नी को छोड़ कर
सारी दुनिया बेकार हुई।
दुनियादारी की बात नहीं
यह बात है तेरे अपनों की,
कितने सारे ख्वाब थे
आज बात बनी वह सपनों की।
यह बात है तेरे अपनों की,
कितने सारे ख्वाब थे
आज बात बनी वह सपनों की।
बाप को जीते जी मार दिया
मां को विधवा बना डाला
सब कुछ पगले तू भूल कर
यह कैसा जुल्म ढा डाला।
मां को विधवा बना डाला
सब कुछ पगले तू भूल कर
यह कैसा जुल्म ढा डाला।
रात रात भर जागकर
मां ने तुझे सुलाया था,
खुद भूखे रह कर के
तुझ को खाना खिलाया था।
मां ने तुझे सुलाया था,
खुद भूखे रह कर के
तुझ को खाना खिलाया था।
पेट काटकर बाप ने
पाला पोसा बड़ा किया
आज कटोरा पकड़ा कर
चौराहे पर उसको खड़ा किया।
पाला पोसा बड़ा किया
आज कटोरा पकड़ा कर
चौराहे पर उसको खड़ा किया।
दूध का कर्ज चुका न सका
बेटे का फर्ज निभा न सका
मारकर ठोकर माता-पिता को
किसी और के दिल में समा न सका।
बेटे का फर्ज निभा न सका
मारकर ठोकर माता-पिता को
किसी और के दिल में समा न सका।
अब मुंह लटकाए बैठा है
जब तेरे बच्चे हुए पराए,
समयचक्र आगे बढ़ता है
हाथ मलमल के क्यों पछताए।
जब तेरे बच्चे हुए पराए,
समयचक्र आगे बढ़ता है
हाथ मलमल के क्यों पछताए।
बोए थे पेड़ बबूल के
चाहत थी आंखों की,
अब कांटो की बारी है
छोड़ दे हसरत फूलों की।
चाहत थी आंखों की,
अब कांटो की बारी है
छोड़ दे हसरत फूलों की।
गंगा भी तुझको ना तार सकेगी
चाहे कोशिश कर ले संसार,
जैसी करनी वैसी भरनी साहिब
यही है जीवन का सार.
चाहे कोशिश कर ले संसार,
जैसी करनी वैसी भरनी साहिब
यही है जीवन का सार.
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