दूसरी दुनिया की तरह है मोबाइल और इंटरनेट | Ashish Raj Kiran - Web Author & Shayar
बारिश, बादल, चांद, हवाएं और ये शमा प्यारा, मुझे बेकार लगता है तुम्हारे बिन जहां सारा : Ashish Raj Kiran

दूसरी दुनिया की तरह है मोबाइल और इंटरनेट

दूसरी दुनिया की तरह है मोबाइल और इंटरनेट

आपने कुछ ऐसी हॉरर मूवीज देखी होंगी जिनमे हमारी वास्तविक दुनिया के अलावा भी एक दूसरी दुनिया को दिखाया गया है और वो दुनिया होती है प्रेत आत्माओ की। हम जहा रहते है वही प्रेत आत्माएं भी रहती है, मगर उनकी दुनिया अलग होती है। जैसे बॉलीवुड की मूवी Raaz-3, 1920  London इत्यादि।
मेरा मकसद किसी भी प्रकार से भूत प्रेत आदि के बारे में बात करके लोगो को डराना या गलत सन्देश देना नहीं है, उपरोक्त से सिर्फ तर्क निकाल कर आपको अपनी बात कहने का प्रयास है। 
ठीक उसी प्रकार इंटरनेट की दुनिया है। इसमें कोई शक नहीं है की इंटरनेट विज्ञान की अद्भुत और महत्वपूर्ण देन है।  जहा एक ओर इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से दूरियां कम हुयी हैं वही दूरियां बढ़ भी गयी हैं।
          आज इंसान भौतिक दुनिया से ज्यादा वर्चुअल (मोबाइल और इंटरनेट) दुनिया में उलझा हुआ है। उसने अपनी दुनिया अलग ही बना रखी  है। इसका सबसे ज्यादा असर आने वाली पीढ़ी पर दिख रहा है। हमारे युवा साथी अपने दोस्तो, रिश्तेदारों या परिवार के साथ बैठे रहते है पर उनके हाथों में मोबाइल होता है। वह किसी और दुनिया में ही व्यस्त रहते हैं।
          मुझे अभी भी याद है जब पहले एक समय हुआ करता था जब लोग साथ में बैठते थे, एक दूसरे का दुःख दर्द शेयर करते थे, हंसी ठिठोली किया करते थे, साथ में बैठ कर गेम भी खेला करते थे। जिससे उनमें आपस में प्रेम भाव और भी बढ़ता था। परन्तु आज का समय बिलकुल बदल चुका है। अब लोग साथ में बैठते तो हैं पर वो बिजी रहते है मोबाइल और इंटरनेट में। मतलब साफ़ है आज का इंसान ड्यूल वर्ल्ड में जी रहा है। पहली भौतिक और दूसरी वर्चुअल। सोचने की बात यह है की वो वर्चुअल दुनिआ को कुछ ज्यादा ही तवज्जो दे रहे हैं।  .... 

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