Ek Din Itna Khamosh Ho Jaunga Dard Bhari Ghazal
एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा
दोस्त क्या मेरे दुश्मन भी चीखने लगेंगे।
अब वो मुझको नजर नहीं आता
ताउम्र नजरंदाज किया, सोचने लगेंगे।
उसकी खुशबू चमन में नहीं आती
वो सूखे पौधों को फिर सींचने लगेंगे,
नजदीकियां मोहताज थी उनकी तवज्जो की
हुई दूरियां तो खुद को कोसने लगेंगे।
अभी आवाज दे दे कर गला बैठ सा गया है
कल वो आवाज दे दे कर बैठने लगेंगे।
इक दिन उससे बहुत दूर चला जाऊंगा
वो मेरी यादों को दिल में संजोने लगेंगे।
सारे गमों को समेटे, शून्य सा लेटा रहुंगा,
लोग चादर का कोना पकड़ खींचने लगेंगे।
और एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा
दोस्त क्या मेरे दुश्मन भी चीखने लगेंगे।
- Ashish Raj Kiran
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