एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा दर्द भरी ग़ज़ल | Ashish Raj Kiran - Web Author & Shayar
बारिश, बादल, चांद, हवाएं और ये शमा प्यारा, मुझे बेकार लगता है तुम्हारे बिन जहां सारा : Ashish Raj Kiran

एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा दर्द भरी ग़ज़ल

Ek Din Itna Khamosh Ho Jaunga Dard Bhari Ghazal

Hindi Sad Ghazal


एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा

दोस्त क्या मेरे दुश्मन भी चीखने लगेंगे।


अब वो मुझको नजर नहीं आता

ताउम्र नजरंदाज किया, सोचने लगेंगे।


उसकी खुशबू चमन में नहीं आती

वो सूखे पौधों को फिर सींचने लगेंगे,


नजदीकियां मोहताज थी उनकी तवज्जो की

हुई दूरियां तो खुद को कोसने लगेंगे।


अभी आवाज दे दे कर गला बैठ सा गया है

कल वो आवाज दे दे कर बैठने लगेंगे।


इक दिन उससे बहुत दूर चला जाऊंगा

वो मेरी यादों को दिल में संजोने लगेंगे।


सारे गमों को समेटे, शून्य सा लेटा रहुंगा,

लोग चादर का कोना पकड़ खींचने लगेंगे।


और एक दिन इतना खामोश हो जाऊंगा

दोस्त क्या मेरे दुश्मन भी चीखने लगेंगे।

- Ashish Raj Kiran

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