बसंत आगमन | Ashish Raj Kiran - Web Author & Shayar
बारिश, बादल, चांद, हवाएं और ये शमा प्यारा, मुझे बेकार लगता है तुम्हारे बिन जहां सारा : Ashish Raj Kiran

बसंत आगमन

बसंत की हवा चली
सुर नया नयी तान है
हर पेड़ हर पौधा
कर रहा श्रृंगार है |



बसंती हवा की महक निराली
झूम रही हर कली हर डाली,
भंवरो ने भी राग है छेड़ा
आमों में आई है लाली |

सरसों के पीले खेतों में
तितलियाँ मडराती हैं,
बौरों की मनमोहक सुगंध
दूर शहर तक जाती है |

ठूंठ बने सूखे पेड़ों पर
नयी पत्तियां आई है,
फूलों की सुन्दर डाली पे
नयी कली मुस्काई है |

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