बसंत की हवा
चली
सुर नया नयी
तान है
हर पेड़ हर
पौधा
कर
रहा श्रृंगार है |
बसंती हवा की
महक निराली
झूम रही हर कली हर डाली,
भंवरो ने भी राग है छेड़ा
आमों में आई है लाली |
झूम रही हर कली हर डाली,
भंवरो ने भी राग है छेड़ा
आमों में आई है लाली |
सरसों के पीले
खेतों में
तितलियाँ
मडराती हैं,
बौरों की
मनमोहक सुगंध
दूर शहर तक
जाती है |
ठूंठ बने सूखे
पेड़ों पर
नयी पत्तियां
आई है,
फूलों की
सुन्दर डाली पे
नयी कली
मुस्काई है |
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