Baadal Bijli Aur Barish (बादल, बिजली और बारिश)
मौसम-ए-बारिश थी कामुक हवाएं
वृक्षों की झर-झर, थी सुंदर घटाएं,
हाथों में उनके हाथ मेरा
वीरान वन, मन में महकती फिजाएं।
कदमों से कदम मिलाने की कोशिश
जुल्फों को चेहरे से हटाने की कोशिश,
ऊँगली इसारे दूर पंछियों को बताना
आंखो से आंखे मिलाने की कोशिश।
बेसुध हवाएं जो गुजरी बगल से
खुशबू बदन की उड़ाती चमन में,
मासूम चेहरे की कातिल अदाएं
दुपट्टे को अपने उड़ाना गगन में।
शबनमी तेरे लबों की शरारत
हृदय को मेरे छेड़ देती एकाएक,
मिलने दे मुझको कमल पंखुड़ी से
प्यासे लबों की छोटी सी हसरत।
जरा पास आओ बैठो निकटतम
मैं और तुम बने एक इस छण,
दिया में बनूं तुम बन जाओ बाती
मिलन दीप से दूर कर दे विरहतम।
मेरी नाज़नी तुम हो खूबसूरत
मेरे जिस्म-जान को तुम्हारी जरुरत,
कभी दूर मुझसे ना होना प्रिय तुम
मैं सांसो की लय हूं तुम हो दिल की धड़कन।
शर्माना कैसा तू मुझको बता दे
पलके उठा मुझ से आंखें मिला ले,
प्यास धारा की बुझाएंगे बादल
लबों से मेरे तू लबों को मिला ले।
दृश्यपान करके हुआ मैं शराबी
रसपान करने में क्या है खराबी
अपनी सांसो को महसूस करने दे मुझको
अब तो गालों का रंग भी हुआ है गुलाबी।
- आशीष कुमार रावत
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