एक हास्य कविता - हाय लुट गए हम बर्बाद हुए
(Hay Lut Gaye Hum Barbaad Huye)
हाय लुट गए हम बर्बाद हुए
वो मुझको बहुत सताती है
वो ले स्कूटी रोज सुबह
मुझसे मिलने आती है,
आकर मेरे दरवाजे पर
वो हॉर्न खूब बजाती है
मैं देख उसे घबराता हूँ
घर के अन्दर छिप जाता हूँ
वो हाथ पकड़ कर मेरा
स्कूटी में बैठाती है,
ले जाके मुझे पेट्रोल पंप
वो जेब में आग लगाती है
हाय लुट गए हम बर्बाद हुए
वो मुझको बहुत सताती है
ले जाके मुझे फिर होटल में
मुझको वो डिनर कराती है
चिकन सूप, बिरयानी संग
वो इडली डोसा खाती है
अपनी मीठी-मीठी बातों से
वो मुझको मुर्ख बनाती है
और लम्बी-लम्बी पाइपों से
वो कोक मिरिन्डा पीती है
पकड़ा के मुझे वो होटल बिल
जो का झटका लगाती है
हाय लुट गए हम बर्बाद हुए
वो मुझको बहुत सताती है
पहन के मिनी स्कर्ट
जियरा मेरा जलाती है
लगा वो काला चश्मा
मुझसे नैन लड़ाती है
वो देख मुझे दरवाजे से
धीरे से शर्माती है,
Kiss देने की खातिर
वो घर में मुझे बुलाती है
दरवाजा अन्दर से बंद करके
वो झांडू-पोंछा लगवाती है
हाय लुट गए हम बर्बाद हुए
वो मुझको बहुत सताती है
- Ashish Kumar Rawat
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